मानव जीवन सीख है बोझ नहीं

  "लेखक हो या सामान्य आदमी उसे जीवन से हर पल सीखना चाहिए सोफिया व्यक्तिगत क्षति का मतलब यह कतई नहीं कि हम जीवन के प्रति कटुता पालें "-      मशहूर लेखिका जान डाईडन  दरअसल जीवन के बीच ही हम मृत्यु के बीच भी होते हैं दिसंबर 2003 की एक रात को मैं अपने पति के साथ रात का भोजन कर रही थी की अचानक मेरे पति को दिल का दौरा पड़ा और


 सब कुछ खत्म हो गया उसके 5 दिन पहले से मेरी एकलौती बेटी है अस्पताल के आईसीयू में बेसुध पड़ी थी दरअसल क्रिसमस की सुबह ही वह बीमार पड़ी और शुरुआत में जिसे सामान्य पुरुष समझा गया वह निमोनिया में तब्दील हो गया उस दौरान कई महीने तक में अजीब स्थिति में थी और मृत्यु बीमारी संभावनाएं भाग्य शादी बच्चे स्मृति और जीवन के बारे में अजीब विचारों से जूझती रही मैं एक लेखिका हूं और लंबे समय तक जीवन के बारे में अपने विचार में शब्दों में ही व्यक्त करती रही हूं लेकिन शोक और 


झटकों ने मुझे ऐसे अनुभव दिए हैं कि मुझे लगता है कि जीवन के बारे में सिर्फ लिखकर बता पाना मेरे लिए संभव नहीं है अमूमन लेखकों को दार्शनिक भी कहा जाता है क्योंकि जिन व्यक्तिगत अनुभव के आधार पर वह लेखक लिखता है वे व्यापक अर्थ में समाज और सभ्यता पर भी लागू होते हैं लेकिन जीवन से जुड़े कई अनुभव लेखकों को भी हैरान और स्तब्ध कर देते हैं वैसी स्थिति में जीवन को परिभाषित करने के लिए लेखकिया अनुभव भी काम नहीं आता !  


अलबत्ता यह खाने में मुझे गुरेज नहीं कि लेखक हो या सामान्य आदमी उसे जीवन से हर पल सीखना चाहिए शौकिया व्यक्तिगत क्षति का मतलब यह नहीं कि हम जीवन के प्रति कटुता पानी बल्कि हमारी क्षति के जरिए भी जीवन हमें सिखाता है इसलिए सच्चा मनुष्य वह है जो जीवन की हर चुनौतियों का सामना करने के लिए तत्पर रहता है और जीवन को भोज की तरह नहीं बल्कि सीख की तरह लेता है ! -       विचार  मशहूर लेखिका जान डाईडन

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